जीवात्मा संसार में माया के वश में होकर त्रितापों से प्रतिक्षण तप्त हो रहा है । ऐसी स्थिति में श्री कृष्ण के चरणों के सिवा कोई भी व्यक्ति वस्तु उसे शीतलता प्रदान करने में समर्थ नहीं है । इसलिए हे मानवों परम करुणामय श्री कृष्ण की शरण ग्रहण करो । श्री कृष्ण के निज निवास ब्रज धाम की छत्र छाया में आओ तुम्हें परम शांति मिलेगी ।
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